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Monday 26 December 2011

कुछ प्रेम पर

रूप सौन्दर्य को देखकर जब ह्रदय झंकृत होकर मुग्ध हो जाता है तब प्रेम का प्रादुर्भाव होता हैपरन्तु इस तरह उत्पन्न प्रेम रुपी बल्ब फ्यूज भी जल्दी होता हैक्योंकि प्रेम बाह्य होकर आंतरिक तत्व हैअगर इसकी तुलना किसी लौकिक वस्तु से की जाती है तो यह उसी प्रकार होगा जिस प्रकार सूर्य को दीपक दिखाना

यह एक असाध्य रोग है और रोगियों की संख्या, जनसँख्या दर से कई गुना अधिक गति से बढ़ रही हैइस ने नर तो क्या नारायणों को भी नहीं छोड़ाअब प्रश्न यह उठता है कि क्या इसकी औषधि कभी उपलब्ध हो पायेगी?

- आलोक शुक्ला

Sunday 25 December 2011

टी. ई. टी. क्वालिफयारों को खूब छकाया

वक़्त भी है कहाँ कहाँ  ले जाता है.. आया था कानपुर तययारी करने, खैर तय्यारी तो हुयी लेकिन साथ में ब्लॉगर बन गया.. आज आप को अपनी पहली पोस्ट दे रहा हूँ.. आपकी दुआओं का इंतज़ार रहेगा---

 यह जानकार न होनी चाहिए हैरानी
क्योंकि शिक्षक बनने में फिर चुका है पानी

बोर्ड तथा  सरकार ने टी. ई. टी. क्वालिफायरों को खूब छकाया
19 से 22 , 22 से 23 और फिर 23 से 9 जनवरी तारीखों  को बढाया

ऐसा अप्रत्याशित रिजल्ट सामने आया
फेल हो गए पास, तथा पास हो गए फेल खूब मजा आया

इतिहास के पन्नों में यह अनूठी परीक्षा लिख जाएगी
अगर शासन  ने चाहा तो गिनीज बुक की स्पर्धा में भी आयेगी

- आलोक शुक्ला